Biography of Lata Mangeshkar in hindi

पेरेंटिंग टिप्स: बच्चों के आगे भूल कर भी इन टॉपिक्स पर न करें बात, वरना पड़ेगा पछताना-

बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं , उन्हें  सही गलत का पता नहीं होता जो वो देखते हैं वैसा ही सीखते हैं और करते हैं। यहां माता-पिता की जिम्मेदारी होती है, बच्चों को अच्छा माहौल दें। बच्चे अपने आसपास के माहौल से सीखते हैं, यहां माता-पिता की जिम्मेवारी बढ़ जाती है। ऐसे कई टॉपिक हैं जिन पर माँ-बाप को बच्चों के सामने बात नहीं करना चाहिए। इसका उन पर गलत असर पड़ता है

तुम अपने भाई बहन की तरह नहीं हो

जब भी माँ बाप अपने बच्चों को इस तरह की बातें बोलते हैं तो यह बच्चो को बहुत बुरी लगती हैं। इसका बच्चे के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार की तुलना से बच्चों के अंदर दूसरे के प्रति नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते हैं।

·        तुम्हे खुद पर शर्म आनी चाहिए –

इस तरह के शब्दों का प्रयोग बच्चों पर नहीं करना चाहिए। बच्चा कैसा भी हो उसे समझाना चाहिए। सही और गलत में फर्क करने के और भी तरिके हो सकते हैं।

·        तुम बिलकुल जिम्मेदार नहीं हो –

अक्सर माँ-बाप अपने बच्चों को उनकी जिम्मेदारी बताने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। जब बच्चों से परफेक्ट बनने की उम्मीद करते हैं तब उनके अंदर गुस्सा चिड़चिड़ाहट बढ़ने लगती है।

·        किसी की बुराई न करना –

बच्चों के सामने अपने पार्टनर या किसी दूसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से बच्चों के अंदर ऐसी आदतों का विकास होता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है ऐसा करने से बच्चे के अंदर उस व्यक्ति के प्रति नफरत पैदा होने लगती है, जिसके बारे में बुराई की गई हो

·        जिम्मेदारिओं का डर –

जब भी आप बच्चों से बात करें तो इस बात का ध्यान रखें, की उनके आगे कभी भी अपनी टेंशन की बात न करें चाहे वह पैसे को लेकर हो या बीमारी को लेकर हो। उनके आगे अगर ऐसी बातों का ज़िक्र किया जाये तो आपके अंदर का डर बच्चों के अंदर स्थांतरण होता है। फिर बच्चे  भी इन बातों से टेंशन लेने लगते हैं

·        बच्चो की तुलना करना –

किसी भी माँ बाप को अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से उनमे हीन भावना जन्म ले लेती है। उनका खुद पर से विश्वास टूटने लगता है। वह तनाव का शिकार होने लगते हैं। दूसरे बच्चों से खुद को कम समझने लगते हैं। इससे उनके मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

·        आपकी उदासी का प्रभाव –

आप कभी बच्चों को ये जाहिर न होने दें की आप उसकी वजह से दुखी हैं। कई बार होता है बच्चे बहुत दुखी होते हैं तो आप उन्हें यह कह सकते हैं की कभी कभी ऐसा होना भी जरूरी होता है बजाय ये कहने की हमेसा हस्ते रहना चाहिए। क्योकि बहरी खुसी दिखाते रहने से क्या फायदा जब वह अंदर से ही खुश नहीं, इसका उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

·        काश ! तुम पैदा ही नहीं होते –

ये शब्द बच्चे को ऐसी स्थिति में डाल सकता है जिसके बारे में आपने सोचा भी न हो। आप कितने भी नाराज हों लेकिन ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचें। क्योकि कोई भी बच्चा अपने माता – पिता से ये शब्द नहीं सुनना चाहता। ऐसे शब्द बच्चों की भावनाओं पर करारी चोट करते हैं। माता- पिता का व्यव्हार बच्चों के साथ प्यार भरा होना चाहिए क्योकि रूखे व्यव्हार से बच्चा खुद को अकेला महसूस कर सकता है। ऐसा बच्चा समाज से खुद को कटा-कटा सा महसूस करता है। ऐसी बातें घर कर सकती हैं की उन्हें कोई पसंद नहीं करता हैं।

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