Biography of Lata Mangeshkar in hindi

पेगासस क्या है? यह कैसे काम करता है ?

पेगासस स्पाइवेयर एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस जासूसी स्पाइवेयर के जरिए लोगों की जांच कैसे की जाती है पेगासस को इजराइल कंपनी ने बनाया। लेकिन क्या आपको इससे डरने की जरूरत है आइए जानते हैं। 

 पेगासस स्पाइवेयर को न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस सॉफ्टवेयर को भारत सरकार को भी वेपन डील के जरिए बेचा गया। इसके बाद विपक्ष सरकार पर हमला हो गया। 

पेगासस स्पाइवेयर को लेकर पिछले कुछ सालों से बड़े खुलासे किए गए। इसमें बताया गया था कि इसके जरिए जनरलिस्ट, विपक्ष और एक्टिविस्ट पर नजर रखी जा रही थी। ऐसे में सवाल उठता है क्या है यह जासूसी स्पाइवेयर पेगासस और कैसे करता है काम?

 क्या है पेगासस ?

पेगासस एक तरह का स्पाइवेयर है। स्पाइवेयर यानी जासूसी सॉफ्टवेयर। इसे आपके डिवाइस जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप में बिना आपकी जानकारी के इंस्टॉल कर दिया जाता है। जो आपकी डिवाइस से आपके पर्सनल डाटा को चुराता रहता है। 

 पेगासस स्पाइवेयर को इजरायल कंपनी NSO Group ने तैयार किया है। इसे टारगेट के डिवाइस पर एक्सेस गेन कर लिया जाता है। और बिना यूज़र की जानकारी के थर्ड पार्टी को डाटा डिलीवर किया जाता है। एन.एस.ओ ग्रुप का दावा है की यह स्पाइवेयर का यूज़ सरकार को करने की परमिशन देता है ताकि टेरेरिस्ट और क्रिमिनल पर नजर रखकर उसे पकड़ा जा सके। 

 पहली बार कब देखा गया था पेगासस?

 इसे सबसे पहले लगभग 4 या 5 साल पहले देखा गया था एक यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) के एक्टिविस्ट को एक टेक्स्ट मैसेज आया। यह टेक्स्ट मैसेज फिशिंग शटअप था। जब मैसेज की जांच की गई तो सिक्योरिटी एजेंसी ने बताया अगर वह मैसेज के लिंक को ओपन कर देता तो उनके फोन में पेगासस मालवेयर इंस्टॉल हो जाता। इसके बाद इस स्पाइवेयर को और भी एडवांस बनाया गया और इसे बिना लिंक ओपन किए भी टारगेट डिवाइस पर इंस्टॉल किया जा सकता है।

 पेगासस को कैसे किया जाता है इंस्टॉल?

पेगासस स्पाइवेयर डिवाइस पर ऐसे अटैक करता है की डिवाइस ओनर को इसके बारे में खबर नहीं होती इसको लेकर कहा जाता है कि एक व्हाट्सएप मिस कॉल के जरिए भी इसे फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है। सिक्योर माने जाने वाले आईफोन में यह आई मैसेज की सिक्योरिटी खामी का फायदा उठाकर अटैक करता था।

 सबसे खतरनाक बात यह है कि यह जीरो क्लिक मेथड का यूज करता है यानी अगर डिवाइस ओनर किसी मैसेज या मेल में लिंक पर नहीं भी क्लिक करते तब भी है मैलवेयर काम करता है अगर यूजर को कोई मैसेज संदिग्ध लगता है और मैसेज को डिलीट कर देते हैं फिर भी यह स्पाइवेयर डिवाइस को इम्फैक्ट कर सकता है।

 पेगासस कैसे काम करता है?

 एक बार पेगासस आपके फोन में आ गया फिर आपका सारा डाटा दूसरी पार्टी को भेजने लगता है  इसमें टेक्स्ट मैसेज, ई-मेल, कांटेक्ट, फोटो, पासवर्ड भी शामिल है। इसके अलावा यह डिवाइस के माइक और कैमरा को ऑन कर के आसपास की फोटो और ऑडियो को कैप्चर कर सकता है।

क्या आप को डरने की जरूरत है?

 यह स्पाइवेयर व्हाट्सएप चैट को भी इंक्रिप्टेड होने से पहले या डिक्रिप्टेड होने के बाद एक्सेस कर सकता है इस स्पाइवेयर में नार्मल यूजर को डरने की जरूरत नहीं है इसको लेकर जैसा कि पहले बताया जा चुका है इसको ऑपरेट करने में करोड़ों रुपए लगते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अपने आप को पेगासस स्पाइवेयर से सुरक्षित मान सकते हैं।

 अगर आने वाले टाइम में इस को और ज्यादा अफॉर्डेबल बना दिया जाए तो इसका मिसयूज़ काफी ज्यादा होने लगेगा और लोगों की पर्सनल जानकारियां स्पाइवेयर के जरिए एक्सेस की जाने लगेंगे आप इसे पूरी तरह से बच नहीं सकते लेकिन आपको अपनी प्राइवेसी का ख्याल रखना होगा। गोवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की गाइडलाइन के मुताबिक इस प्रकार ऐसे स्पाइवेयर से बचने के लिए कुछ जानकारी जारी की गई हैं जिसको पढ़ कर हम इस तरह के स्पाईवरों के खतरे से अपने आपको काफी हद तक सुरक्षित रख सकते है। अथवा ऐसे कोई भी घटना जो आपको आपके डाटा चोरी अथवा आपके फ़ोन में कोई संदिग्ध गतिविधि होने पर अपने नजदीकी साइबरक्राइम ब्यूरो पर अपनी शिकायत को दर्ज कराएं।

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