Biography of Lata Mangeshkar in hindi

मदर टेरेसा का जीवनकाल।

अपने लिए तो सभी जीते है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपना सारा जीवन दुसरो को अपना मानकर उनकी सेवा में गुजार देते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं मदर टेरेसा की जो इस प्रकार की ही एक महिला है जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीब, लाचार,बीमार तथा अकेले रहने वालों पर समर्पित कर दिया। 18 वर्ष की उम्र में ही नन बनकर उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी।

मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को उत्तर मेसेडोनिया के स्कोप्जे नगर में हुआ था इनका नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजु था। इनके पिता बोयाजू एक व्यवसाई थे, वह काफी धार्मिक भी थे। वे हमेशा अपने घर के पास वाले चर्च जाया करते थे। 1919 में इनकी मौत हो गई। पिता जी की मृत्यु के बाद इनके परिवार को आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ा । जिसके बाद मदर टेरेसा को उनकी माँ ने बड़ा किया। उनकी माँ द्राना ने बचपन से ही मिल बाँट कर खाने की शिक्षा दी। मदर टेरेसा रोमन केथलिक धर्म की थी।

भारत में आगमन

6 जनवरी 1929 को टेरेसा कोलकाता के लोरेटो कॉन्वेंट में भारत आई। टेरेसा कोलकाता में एक शिक्षिका के पद पर कार्य करने लगी। यही उन्होंने अंग्रेजी तथा बंगाली सीखी। इसके बाद नर्सिंग ट्रेनिंग के लिए दार्जलिंग चली गई। कोलकाता आकर इन्होने एक संस्था की स्थापना की जिसे मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी के नाम से जाना जाता है। मदर टेरेसा ने 1947 में अपनी इच्छा से भारतीय नागरिकता को अपनाया।

मिशनरी ऑफ़ चैरिटी

7 अक्टूबर 1950 में मदर टेरेसा के अत्याधिक प्रयास के चलते उन्हें मिशनरी ऑफ़ चैरिटी बनाने कि परमिशन मिल गई। इस संस्था में वोलिंटर संत मैरी स्कूल के शिक्षक ही थे। जो सेवा भाव से इस संस्था से जुड़े थे। शुरुआत में इस संस्था में सिर्फ 12 लोग कार्य किया करते थे। आज यहां 4000 से भी ज्यादा नन काम कर रही हैं। इस संस्था के द्वारा अनाथालय, नर्सिंग होम, वृद्ध आश्रम बनाये गए। मिशनरी ऑफ़ चैरिटी का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की मदद करना था जिनका दुनिया में कोई नहीं है। उस समय कलकत्ता में प्लेग व कुष्ठ रोग की बीमारी बहुत फैली हुई थी, मदर टेरेसा व उनकी संस्था ऐसे रोगियों की खुद सेवा किया करती थी। वे मरीजों के घाव को अपने हाथों से खुद साफ किया करती थी।  

मदर टेरेसा के मुख्य आश्रम

टेरेसा की इस मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी संस्था ने 1996 तक 755 निराश्रित गृह खोले गए जो की 125 देशों में फैले हैं। इन निराश्रित गृह से लगभग 5 लाख लोगों की भूख मिटाई जाती है। टेरेसा के निर्मल हृदय आश्रम में बीमारी से पीड़ित रोगियों की सेवा होती है तथा निर्मल शिशु भवन में अनाथ और बेघर बच्चो को सहायता मिलती थी। इन आश्रम में पीड़ित, गरीब,अनार्थ तथा बेघर बच्चो को सहायता मिलती थी।

पुरस्कार

पद्मश्री

जॉन केनेडी अंतराष्ट्रीय पुरस्कार

नोबेल शांति पुरस्कार

भारत रत्न

मैडल ऑफ़ फ्रीडम

मदर  टेरेसा  का  निधन 

मदर  टेरेसा 1983 में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिली, तब मदर टेरेसा को प्रथम बार दिल का दौरा पड़ा तब उनकी उम्र 73 वर्ष थी। उम्र के साथ मदर टेरेसा का स्वास्थ्य कमजोर होने लगा और समय के चलते 1989 में दूसरा दिल का दौरा आ गया। इस तरह उनका स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा। मदर टेरेसा ने 5 सितंबर 1997 में भारत के कोलकाता शहर में अपने प्राण त्याग दिए।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *