डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वो शक्शियत हैं जिन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। किसानो मजदूरों और औरतों के अधिकारों का समर्थन भी किया। अंबेडकर जी भारत गणराज्य के निर्माताओं में से भी एक हैं। हिन्दू पंथ में व्याप्त कुरीतिओं और छुआछूत की प्रथा से तंग आकर वर्ष 1956 में इन्होने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में भारत रत्न पुरस्कार से मरणोपरांत इन्हे सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन –
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बाबासाहेब नाम से भी जानते हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू के मध्य प्रान्त (ब्रिटिश भारत)में हुआ। इनके पिता मुंबई के ऐसे घर में रहते थे जहाँ पहले से ही बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो जब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अंदर सोते तो उनके पिता जी बाहर सोते और जब उनके पिता अंदर सोते तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रौशनी में पढ़ते थे।
शैक्षिक जीवन–
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1907 में मेट्रिकुलेशन पास करने के बाद एली फ़िंस्टम कॉलेज से 1912 में ग्रेजुएट हुए। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संस्कृत पढ़ने का बहुत शौक था लेकिन दलित होने के कारण इन्हे संस्कृत पढ़ने की आज्ञा नही थी। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में M A किया। 1917 में पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। 1917 में ही लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के आभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। कुछ समय बाद दुबारा जाकर अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा किया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओँ के जानकार थे विश्व के सभी धर्मों के रूप में पढाई की।
समाज सुधारक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर–
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने असमानताओं का सामना करते हुए समाज में सुधार का बीड़ा उठाया डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने आल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का गठन किया। ब्राह्मणो द्वारा दलितों के मंदिर में प्रवेश की मनाही, उनसे भेदभाव करना, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि में सुधार करने का प्रयास किया।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा छुआछूत विरोधी संघर्ष–
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर छुआछूत को बचपन से ही झेलते आ रहे थे । जातिप्रथा और ऊंच-नीच का भेदभाव बचपन से ही देखते आ रहे थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया। इसके जरिये वो लोगों को छुआछूत से मुक्ति दिलाना चाहते थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर दलितों के मसीहा के रूप में सामने आये। इन्होने अपने अंतिम क्षण तक दलितों को सम्मान दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया। 1937 में उन्होंने जो मुकदमा निम्न जाती के सम्म्मान के लिए लड़ा था वह जीत गए।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मृत्यु –
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को मधुमेह रोग था। जोकि 1948 से था। वह 1954 तक काफी बीमार रहे 3 दिसंबर 1956 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और धम्म उनको पूरा किया। 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांसे ली बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध धर्म के तौर तरिके से किया गया।