आपने अक्सर देखा होगा कि देश और विदेश में वैज्ञानिकों के द्वारा कुछ ना कुछ अविष्कार किए जाते हैं l जो भी अविष्कार वैज्ञानिकों के द्वारा किए जाते हैं उन वैज्ञानिक के द्वारा सालों साल मेहनत की जाती है तभी ही अविष्कार हो पाता है l आज हम आपको एक ऐसे ही अविष्कार के बारे में बताने वाले हैं जिसका नाम है “पॉलीग्राफ टेस्ट” l
आपने अक्सर यह सुना होगा कि एक ऐसा टेस्ट होता है जिसके द्वारा झूठ का पता लगाया जाता है l इसी टेस्ट की सहायता से झूठ का पता लगाया जाता है l दरअसल इस टेस्ट की शुरुआत ‘अगस्तस लार्सन’ के द्वारा वर्ष 1921 में की गई थी l यह टेस्ट पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है l इस टेस्ट के जरिए काफी बड़े-बड़े काम किए गए हैं और भारत सरकार के द्वारा भी इस (Polygraph test in india) का इस्तेमाल किया जाता है l आइए अब हम जानते हैं कि इस टेस्ट की शुरुआत किसने की थी और इस टेस्ट के जरिए क्या काम किया जाता है l
यह है पॉलीग्राफ़ का इतिहास (Polygraph test in hindi)
दरअसल जिस व्यक्ति के द्वारा इस ट्रस्ट की खोज की गई थी वह व्यक्ति कैलिफोर्निया के एक कॉलेज में चिकित्सक के छात्र थे l उनके द्वारा ही पॉलीग्राफ टेस्ट की खोज की गई है l आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अपराध के बढ़ते हुए मामले को देखकर उन्होंने इस रिसर्च की शुरुआत की थी l इस टेस्ट को बनाने के लिए उनके काफी वक्त लग चुके थे l
काफी प्रयासों के बाद ही लार्सन के द्वारा इस टेस्ट की शुरुआत 1921 में की गई थी l आपने अक्सर देखा होगा कि भारत में भी अपराधिक मामलों की जांच के लिए Lie detector test का इस्तेमाल किया जाता है l इस देश के इस्तेमाल करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि अपराधिक मामलों में दोषी एवं अन्य लोगों कि इस टेस्ट के जरिए जांच की जा सके और सच और झूठ के बारे में पता लगाया जा सके ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को सजा ना हो और कोई दोषी व्यक्ति बच ना पाए l
अपराधिक मामलों की तहकीकात करने के लिए यह टेस्ट काफी हद तक बहुत लाभदायक से सिद्ध हुआ है l इस Test के जरिए काफी अपराधियों को सजा भी हो चुकी है l इस Test को बनाने के लिए काफी मेहनत लगी है और काफी लंबी रिसर्च के बाद इस पेस्ट का निर्माण किया गया है l पॉलीग्राफ टेस्ट की सहायता से अपराधियों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त की जा सकती है l
इस प्रकार कार्य करता है पॉलीग्राफ़ टेस्ट (Polygraph meaning in hindi)
जब भी किसी व्यक्ति की पॉलीग्राफ़ टेस्ट के जरिए सच और झूठ का पता लगाया जाता है तो इस टेस्ट को शुरू करने से पहले व्यक्ति के शरीर के कुछ हिस्सों को कुछ तारों से जोड़ा जाता है l शरीर के हिस्सों को तारों से जोड़ने के पश्चात जब इस पॉलीग्राफ टेस्ट को शुरू किया जाता है l सबसे पहले व्यक्ति से प्रश्न पूछे जाते हैं l यह प्रशन व्यक्ति से संबंधित ही पूछे जाते हैं ताकि सच और झूठ का पता लगाया जा सके l व्यक्ति से केस से संबंधित एवं अपराधिक मामले से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं l
जब व्यक्ति प्रश्न के उत्तर देने लगता है तो व्यक्ति की सांसे , ब्लड प्रेशर ,प्रश्न के उत्तर देने का तरीका सब कुछ मशीन में रिकॉर्ड हो जाता है l सब कुछ मशीन में रिकॉर्ड हो जाता है तो मशीन अपना कार्य शुरू कर देती है l पॉलीग्राफ मशीन इन सब की सहायता से यह पता लगा लेती है कि व्यक्ति से जो भी कुछ पूछा गया है वह व्यक्ति ने सच बताया है या झूठ बताया है l व्यक्ति चाहे लाख कोशिश कर ले परंतु वह यदि झूठ बोलेगा तो मशीन उसके झूठ को पकड़ लेगी l इस टेस्ट के रिजल्ट काफी अच्छे हैं भारत सरकार के द्वारा भी काफी बार इस टेस्ट का उपयोग अपराधियों पर किया गया है l
यदि ब्लड प्रेशर और सांस की गति बढ़ रही है तो हो सकती है व्यक्ति को परेशानी
जब भी किसी व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट के द्वारा टेस्ट लिया जाता है तो यदि प्रश्न का उत्तर देते समय व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और सांस की गति भी काफी बढ़ जाती है यह सब परिस्थितियां देखकर मशीन के द्वारा सिग्नल भेजा जाता है और पॉलीग्राफ मशीन के द्वारा सभी सिग्नल पढ़ लिए जाते हैं l अधिकतर ऐसा ही होता है जब व्यक्ति की सांसे और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तो व्यक्ति झूठ ही बोल रहा होता है l
सूत्रों के मुताबिक आज तक जितने भी अपराधिक मामलों में जांच हुई हैं उनमें अपराधियों का जब टेस्ट हुआ था तो उन्होंने इसी प्रकार का व्यवहार किया थाl यह एक ऐसा पहला टेस्ट था जिसमें व्यक्ति के हावभाव और शारीरिक परिस्थितियों के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति प्रश्नों के जवाब सही दे रहा है या फिर प्रश्नों के जवाब गलत दे रहा है l इस टेस्ट को अविष्कार हुए काफी वर्ष हो चुके हैं परंतु अब भी यह टेस्ट काफी प्रचलित है l
कुछ वैज्ञानिक के अनुसार पॉलीग्राफ़ टेस्ट के रिजल्ट हो सकते हैं फेल l
कुछ वैज्ञानिकों ने पॉलीग्राफ टेस्ट के ऊपर अपने रिसर्च भी की है और रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिकों ने अपनी गहराई दी है कि यदि यह टेस्ट अपराधी ने पहले ही देख लिया हो तो अपराधी इस टेस्ट से बच भी सकता है l कहने का मतलब यह है कि यदि अपराधी के द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट के माध्यम से पहले ही प्रेक्टिस कर ले जाए तो वह आसानी से इस टेस्ट के रिजल्ट को नकारात्मक साबित कर सकता है l
कुछ अपराधियों के द्वारा पहले ही इस टेस्ट की प्रैक्टिस कर ली जाती है और बाद में इस फैसले से जो रिजल्ट निकलते हैं वह अपराधी के खिलाफ नहीं होते हैं l
हम आशा करते हैं कि आपको पॉलीग्राफ टेस्ट के बारे में जानकारी जो हमने दी है वह अच्छी लगी होगी l इस टेस्ट के बारे में हमने आपको सभी जानकारी अच्छे से बता दिए हैं हम आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी l यदि आपको पॉलीग्राफ टेस्ट से संबंधित कुछ भी पूछना है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते हैं l हम हमेशा आपके जवाब देने के लिए तत्पर हैं l